
सुहागरात का यह प्रथम मिलन केवल शारीरिक मिलन ही नहीं होता बल्कि मानसिक
व आत्मिक मिलन है। इस घड़ी में दो जिस्म एक जान हो जाते हैं तथा दो जाने
अब तक अलग अलग थीं। इस रात को पहली बार एक हो जाती है तथा यही घड़ी वैवाहिक
जीवन की नींव का पत्थर बन जाती हैं तथा सफल जीवन के सुनहरी भविष्य का
निर्माण करती है। इस रात की नींव बहुत ही मजबूत हो जानी चाहिए ताकि कभी भी
थोड़ी हलचल के कारण वैवाहिक जीवन में दरार...